Chandra Grahan (Lunar Eclipse) January 2020 Date and Time, Timings in India, चंद्र ग्रहण कब है: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) के दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते और न ही देवी देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श किया जाता है। क्योंकि ग्रहण काल को अशुभ माना गया है। जानिए पौराणिक कथाओं अनुसार ग्रहण का इतिहास...
Lunar Eclipse 2020 Date: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते।
Chandra Grahan (Lunar Eclipse) January 2020 Date, Timings in India: चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। तब धरती पर चंद्र ग्रहण (penumbral lunar eclipse 2020) का नजारा देखने को मिलता है। ये उस स्थिति में होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाएं। ऐसा सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही हो सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते और न ही देवी देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श किया जाता है। जानिए पौराणिक कथाओं अनुसार ग्रहण का इतिहास…
पौराणिक कथाओं अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। भगवान विष्णु ने अमृत देवताओं को पिलाने की चाह से सभी देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया। देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहू को ऐसा करते हुए देख लिया। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का सर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन राहू ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी कारण राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रास लेते हैं। इसलिए चंद्र ग्रहण होता है।
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